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अयोध्या फैसले पर बोले असदुद्दीन ओवैसी के भाई – वहां मस्जिद थी, है और रहेगी

अयोध्या (Ayodhya) फैसले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अहम फैसला आ चुका है। इस फैसले पर मुस्लिम पक्षकार एम सिद्दीकी (M Siddiqui) ने पुनर्विचार याचिका दाखिल भी की है और जल्द ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) भी रिव्यू याचिका दायर करेगा। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी(Asaduddin Owaisi) के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी (Akbaruddin Owaisi) ने कहा, ‘यह एक हकीकत है, चाहे वहां कुछ भी बने। वहां मस्जिद थी, है और रहेगी।’

अयोध्या मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी सवाल उठा चुके हैं। ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ा है, पर अचूक नहीं। ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरह वह भी फैसले से सहमत नहीं हैं।

ओवैसी ने अयोध्या फैसले को तथ्यों के ऊपर आस्था की एक जीत बताया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने आशंका व्यक्त की कि संघ परिवार कई अन्य मस्जिदों के मामलों में इस फैसले का उपयोग कर सकता है, जिस पर उनके दावे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सूची में मथुरा, काशी और लखनऊ की मस्जिदें शामिल हैं।

कई दशक पुराना है यह मामला

राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का यह विवाद कई दशकों पुराना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस पर साल 2010 में फैसला सुनाया था। बाद में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई की।

इस विवाद में कई मसले थे इस विवाद में कई मुद्दे थे।

लेकिन सबसे बड़ा मामला जमीन विवाद का था। यह विवाद 2।77 एकड़ की जमीन को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट के सामने सबसे अहम सवाल यह था कि 2।77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है?

विवाद की नींव 400 साल पहले पड़ गई थी

अयोध्या विवाद की नींव लगभग 400 साल पहले पड़ गई थी। 2010 में हाई कोर्ट के फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को मिला था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 आपील दाखिल हुई थीं।

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