बिहार पुलिस अपने कारनामों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती है। इस बार भी पुलिस का ऐसा मजाक बना कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शर्मसार होना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ। जगन्नाथ मिश्र के अंतिम संस्कार के दौरान सलामी के लिए उठी 22 राइफलों में से एक से भी गोली नहीं निकली।
बुधवार को सुपौल में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र की अंत्येष्टि के दौरान खुद उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डे और विधान सभा अध्यक्ष विजय चौधरी मौजूद थे। लेकिन इसके बावजूद ज़िला पुलिस की तैयारी का आलम ये था कि एक भी बंदूक़ से फ़ायरिंग नहीं हो पाई। अमूमन दस राइफ़ल से फ़ायर किया जाता है, लेकिन एक ने भी काम नहीं किया।
राजकीय सम्मान के दौरान पुलिस की 22 राइफल्स आसमान की तरफ उठीं जरूर, लेकिन उसमें से गोली नहीं निकली। यानी 22 के 22 राइफलों से गोली नहीं चली। मुख्यमंत्री के सामने पुलिस की स्थिति की पोल खुलते ही आला अधिकारी अगल-बगल झांकने लगे। मुख्यमंत्री ने आईजी की तरफ इशारा करके पूछा ये क्या हो रहा है और जिले के एसपी ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह उच्चस्तरीय मामला है, इसलिए इस पर डीजीपी ही कुछ बता पाएंगे।
बता दें कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने हमेशा कहा है कि जो भी संसाधन की जरूरत हो पुलिस को वो देने के लिए तैयार रहते हैं और देते भी हैं लेकिन उन्हें रिजल्ट चाहिए। लेकिन ऐसा रिजल्ट होगा यह किसी ने नहीं सोचा था।
बिहार पुलिस का हमेशा किसी न किसी कारण मजाक उड़ता रहा है। कभी पुलिसकर्मियों की गतिविधि की वजह से तो कभी संसाधनों के अभाव में। लेकिन ये घटना वाकई चौंकाने वाली है और इसकी उच्चस्तरीय जांच भी होनी चाहिए। आखिर कैसे पुलिस ऐसी गोलियों की बदौलत अपराधियों का मुकाबला करेगी, जो मौके पर निकल ही नहीं पाती। अंतिम संस्कार में भाग लेने पहुंचे आरजेडी के विधायक यदुवंशी यादव ने पुलिस में घोटाले का गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है।
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