अब जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है तो 2019 के चुनावी मैदान में दोनों ही प्रमुख दलो, भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के घोषणा पत्र में किये गए वादों की आसानी से तुलना की जा सकती है।
घोषणापत्र, जो किसी भी पार्टी के आने वाले पांच सालो की एक तस्वीर दिखता है, चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाने वाली महत्वपूर्ण चीज़ो में से एक है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने 2019 के आम चुनाव से महज़ तीन दिन पहले आज लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपना घोषणा पत्र या संकल्प पत्र जारी किया, जबकि कांग्रेस पार्टी ने 2 अप्रैल को ही अपना घोषणापत्र लॉन्च कर दिया था। अपने घोषणा पत्र में दोनों ही पार्टीओ ने देश की विभिन्न समस्याओं को सुलझाने का वादा किया है।
लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में होंगे जबकि परिणाम 23 मई को घोषित किए जाएंगे।
भाजपा और कांग्रेस के घोषणापत्रों के बीच हैं ये चार अंतर:
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में एक अलग किसान बजट पेश करने का वादा किया, जबकि भाजपा ने 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने और छोटे, सीमांत किसानों के लिए पेंशन प्रदान करने की कसम खाई है।
कांग्रेस ने अपनी न्यूनतम आय गारंटी योजना ‘NYAY’ के माध्यम से 2030 तक गरीबी को खत्म करने पर जोर दिया, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने बीपीएल परिवारों की संख्या को कम करने का वादा किया है।
कांग्रेस ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम की समीक्षा करने और कश्मीर में शांति प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया है, जबकि भाजपा ने धारा 370 को निरस्त करने और अनुच्छेद 35 ए को खत्म करने पर अपना रुख दोहराया।
कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र ने 2020 के अंत तक 22 लाख नौकरियां सृजित करने का दावा किया है, जबकि भाजपा के दस्तावेज ने 22 प्रमुख ‘चैंपियन सेक्टर्स ’को अधिक समर्थन प्रदान करके रोजगार के नए अवसर पैदा करने की कसम खाई है।
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