गुवाहाटी (Guwahati) में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया है। इसके अलावा असम (Assam) के 10 जिलों में 24 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया गया है। यह प्रतिबंध आज शाम 7 बजे से शुरू होगा। बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizen Amendment) के खिलाफ बुधवार को हजारों लोग असम में सड़कों पर उतरे। राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प से राज्य में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बंटवारे के बाद पैदा हुए हालात के कारण ये विधेयक लाना पड़ा। भारत ने वादा निभाया, लेकिन उसके तीन पड़ोसियों ने वादा नहीं निभाया।
मुस्लिम क्यों नहीं, अमित शाह ने दिया जवाब
अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि इस बिल की वजह से कई धर्म के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी, लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर कि मुस्लिम को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं। आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है।
इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं, जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है। ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता नहीं हैं।
कुछ लोग डरा रहे- अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि कुछ सांसद संसद को डरा रहे हैं कि संसद के दायरे में सुप्रीम कोर्ट आ जाएगी। कोर्ट ओपन है। कोई भी व्यक्ति कोर्ट में जा सकता है। हमें इससे डरना नहीं चाहिए। हमारा काम अपने विवेक से कानून बनाना है, जो हमने किया है और ये कानून कोर्ट में भी सही पाया जाएगा।
क्यों हो रहा विरोध, क्या है दलीलें?
कांग्रेस को शिवसेना और जेडीयू के वर्तमान रुख से थोड़ी राहत ज़रूर मिली होगी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान पर हमला है। जो भी इसका समर्थन कर रहे हैं, वे देश की बुनियाद पर हमला कर रहे हैं और उसे नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।”
कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा में विधेयक पर बहस के दौरान भी सरकार की जमकर आलोचना की थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि यह बिल असंवैधानिक और समानता के मूल अधिकार के ख़िलाफ़ है। उन्होंने कहा कि अगर इस देश में दो राष्ट्र की थ्योरी किसी ने दी थी तो वो कांग्रेस ने नहीं बल्कि 1935 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के अधिवेशन में विनायक दामोदर सावरकर ने दी थी।
धारा 14 पर अमित शाह क्या बोले?
लोकसभा में इसे पेश किए जाने के दौरान अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी भी क़ानून का उल्लंघन नहीं करता है।
संविधान की धारा 14 के बारे में उन्होंने कहा, जिसे लेकर अधिकतर सदस्य इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक़ इससे समानता का अधिकार आहत होगा। अमित शाह का तर्क था कि मुनासिब आधार पर धारा 14 संसद को क़ानून बनाने से नहीं रोक सकता है।
1971 में इंदिरा गांधी ने निर्णय किया कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी, तो पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी गई। उन्होंने युगांडा से आए लोगों को नागरिकता दिए जाने का भी हवाला दिया।