बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कल 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया. इसमें सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं की रकम भी शामिल है.
बीते बुधवार से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के बारे में जानकारी दे रही हैं. इसी के तहत वह शुक्रवार को भी मीडिया से मुखातिब हुईं.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी किसान काम करते रहे, छोटे और मंझोले किसानों के पास 85 फीसदी खेती है.
-निर्मला सीतारमण ने बताया कि तीसरी किस्त मुख्यतौर पर किसान केंद्रित है. कृषि क्षेत्र के लिए 11 ऐलान किए जाएंगे. 8 फैसले कृषि और इंफ्रा से जुड़े होंगे. वहीं, 3 फैसले गवर्नेंस और रिफॉर्म से जुड़े होंगे.
गुरुवार को क्या मिला?
गुरुवार को दूसरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने पटरी-रेहड़ी कारोबारी, छोटे किसान, प्रवासी श्रमिकों से जुड़े 9 बड़े ऐलान किए. इस दौरान उन्होंने कहा कि 50 लाख रेहड़ी-पटरी कारोबारियों के लिए 10 हजार रुपये का विशेष लोन दिया जाएगा, इसके लिए सरकार 5 हजार करोड़ खर्च करेगी.
इसी तरह, शिशु लोन पर छूट, क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम की डेडलाइन बढ़ा दी गई है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक 2.5 करोड़ किसानों को क्रेडिट कार्ड पर 2 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज मिलेगा. इसके अलावा मार्च 2021 तक वन नेशन, वन कार्ड योजना को देशभर में लागू किया जाएगा. इसके अलावा शहरी बेघरों के लिए सस्ता घर, रेंटल घर, तीन वक्त का खाना, किसान क्रेडिट कार्ड, जैसे बड़े ऐलान किए गए.
बुधवार को क्या हुआ था ऐलान
– बुधवार को करीब 6 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान हुआ. इस पैकेज में से एक बड़ा हिस्सा सूक्ष्म, लघु और मझोले कारोबार (MSME) को दिया गया है. वहीं सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मझोले कारोबार की परिभाषा में भी बदलाव कर दिया है.
वहीं बिजली वितरण कंपनियों पर 94,000 करोड़ रुपये का बकाया है और उनको 90,000 करोड़ का बेल आउट दिया गया है.
– गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, एमएफआई को 30,000 करोड़ की नकदी सुविधा
– एनबीएफसी के पार्शियल गारंटी स्कीम के लिए 45,000 करोड़ रुपये
– मिडिल क्लास को सरकार ने सबसे बड़ी राहत टैक्स के मोर्चे पर दी है. दरअसल, सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सभी आयकर रिटर्न भरने की समयसीमा 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी है. इसके अलावा टैक्स से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए लाई गई ‘विवाद से विश्वास योजना’ की डेडलाइन 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ गई है.
– सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत आने वाले सभी नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पीएफ कंट्रीब्यूशन को क्रमश: 2-2 फीसदी कम कर दिया गया है. अब तीन माह तक कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी की बजाए सिर्फ 10 फीसदी कंट्रीब्यूशन देंगे.
– टीडीएस की दर में भी 25 फीसदी की कटौती कर दी गई है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी का 100 रुपये का टीडीएस बनता है तो उसे 75 रुपये ही देने होंगे.