दिल्ली के निजामुद्दीन (Nizamuddin) स्थित तबलीगी जमात के मरकज से देश भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण फैलने का मामला सामने आया है। इस मरकज के धार्मिक समारोह के दौरान लगभग 2000 लोग शामिल हुए थे। इनमें से तक़रीबन 1200 लोगों को दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती किया जा चुका है, जबकि तक़रीबन 200 और लोग भी अस्पताल भेजे जाने हैं।
वहीं देश में अब तक कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से कम से कम 10 लोगों के तार निजामुद्दीन मरकज से जुड़े मिले हैं। बता दें की मृतकों में 6 लोग तेलंगाना से थे, वहीं केरल, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और कर्नाटक में मौत के शिकार हुए कम से कम एक-एक व्यक्ति के तार इसी मरकज से जुड़े पाए गए हैं। ये मामला सामने आने के बाद निजामुद्दीन का मरकज कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट बन चुका है और अब पुरे देश की निगाहे उसी पर हैं।
लॉकडाउन के चलते फसे थे कई लोग
मरकज में मौजूद मुलाना कि माने तो, लॉकडाउन से पहले बड़ी संख्या में लोग चले गए थे, लेकिन कई लोग रुक गए थे, जिनमें थाइलैंड और किर्गिस्तान से आए लोग भी शामिल थे, जो अभी वापस नहीं लौटे हैं।
मौतों के बाद मची खलबली
तेलंगाना में हुई 6 लोगों की मौत और केरल में एक शख्स की मौत के बाद जब खलबली मची तो ये मामला सामने आया। जांच के बाद ये पता चला कि ये सातों मरकज में हुए धार्मिक समारोह में शामिल हुए थे। अब माना ये जा रहा है कि ये लोग मरकज में ही कोरोना संक्रमित हुए थे।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में एक 65 साल के बुजुर्ग की मौत भी हुई। वो भी मरकज में शामिल थे।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के लाहौर में बीते दिनों कोरोना संकट के बावजूद 5 दिनों का कार्यक्रम हुआ। इसके तहत करीब 1200 लोग लाहौर के रायविंद में एकत्रित हुए। रविवार को जब यहां कोरोना को लेकर जांच की गई, तो 35 में से 27 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
क्या है तबलीग-ए-जमात ? कब हुई इसकी शुरुआत?
1926-27 में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मस्जिद में कुछ लोगों ने साथ मिल कर तबलीगी जमात का गठन किया था। इसे मुसलमानों को अपने धर्म में बनाए रखना और इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार और इसकी जानकारी देने के लिए शुरू किया गया था।
अगर इसके मतलब को समझें तो तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला। जमात का मतलब होता है समूह, यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह। दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है।
तबलीगी जमात का उद्देश्य
तबलीगी जमात के मुख्य उद्देश्य हैं-कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग थे। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग देश और दुनिया भर में लोगों के बीच जाते हैं और इस्लाम का प्रचार-प्रसार करते हैं। तबलीगी जमात में जाने वाला शख्स अपने पैसे खुद लगाता है।
इस तरह करता है काम
तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती हैं। इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने की जमातें निकलती हैं। तबलीगी जमात के एक जमात (समूह) में आठ से दस लोग शामिल होते हैं। इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं। जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों और दुकानदारों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं। सुबह 10 बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है।