हरिद्वार: अगर आप कहीं दूर नहीं जाना चाहते और पास ही एक अच्छी जगह घूमने जाना चाहते हैं तो यह स्थान आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा। यह दिल्ली से 219 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हरिद्वार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले एक प्रसिद्ध नगर है। और हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ भी है। यह बहुत ही प्राचीन नगरी हैं यह हिंदुओं के पवित्र स्थानों में से एक है।
यहां से गंगोत्री 243 किलोमीटर की दूरी पर है और हरिद्वार ही गंगा जी का पहला मैदानी स्थान है इसलिए हरिद्वार को गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता है गंगाद्वार का अर्थ है जहां से गंगा मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है।
प्राचीन काल हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार हरिद्वार वह स्थान है जहां अमृत की कुछ बूंदें भूल से घड़े से गिर गई थी। जब धनवंतरी उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे मान्यता है कि चार स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थी। वह स्थान उज्जैन नासिक और प्रयाग है। इन चारों स्थानों पर बारी बारी से हर 12 वर्ष में महाकुंभ का आयोजन होता है।
एक स्थान के महाकुंभ से 3 वर्ष के बाद दूसरे स्थान पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। इस प्रकार12 वर्ष में एक चक्र पूरा हो जाता है फिर पहले स्थान पर महाकुंभ किया जाता हैपूरी दुनिया से करोड़ों की संख्या मैं यहां पर तीर्थयात्री भक्तजन और पर्यटक इस समारोह को मनाने के लिए आते हैं।
एक मान्यता के अनुसार जहां अमृत की बूंदे गिरी थी उस स्थान का नाम हर की पौड़ी ब्रह्म कुण्ड माना जाता है। वैसे तो यहां पर बहुत घाट है पर हर की पौड़ी यहां का सबसे पवित्र घाट माना जाता है और पूरे भारत से यहां लोग किसी भी त्यौहार यह पवित्र दिवस पर यहां स्नान करने आते हैं और यहां स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है।
हरिद्वार में घूमने के स्थान।
मनसा देवी मंदिर
हर की पौड़ी से थोड़ी ही दूर मनसा देवी मंदिर लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर है। मनसा देवी मंदिर आप रोप वे की मदद से
भी जा सकते हैं और आप पैदल भी जा सकते हैं अगर आप पैदल जाए तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि पैदल जाने पर बहुत ही अच्छे दृश्य दिखाई देते हैं और रास्ते का आनंद लेते हुए जाएं और ऊपर मंदिर पहुंचने के बाद आपको वहां से हर की पौड़ी से गंगा जी बहुत ही सुंदर दिखाई देगी और यहां से आपको पूरा हरिद्वार दिखाई देगा यह बहुत ही सुंदर दृश्य होगा आपके लिए।
चंडी देवी मंदिर
माता चंडी देवी का यह प्रसिद्ध मंदिर गंगा नदी के पूर्व किनारे पर शिवालिक श्रेणी कि नील पर्वत के शिखर पर विराजमान है। मान्यता है कि मुख्य प्रतिमा की स्थापना आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी यह मंदिर निचले द्वार से 3 किलोमीटर दूरी पर है यह यात्रा आप पैदल भी जा सकते हैं और बाइक इत्यादि से भी जा सकते हैं।
हरिद्वार कैसे जाएं
दिल्ली से हरिद्वार 214 किलोमीटर दूरी पर है हरिद्वार जाने के लिएआपको यूपी रोडवेज की एसी और नॉन एसी बसे मिल जाएगी और आप अपनी पर्सनल गाड़ी से भी जा सकते हैं।