देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) पर बिजली संकट (Electricity Crisis) का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. टाटा पावर (Tata Power) ने दिल्ली में ग्राहकों को संदेश भेजा. टीपीडीडीएल (TPDDL) ने कहा कि पावर पलांट्स में कोयले का भारी संकट है. दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक बिजली की सप्लाई में दिक्कत हो सकती है. जिम्मेदार नागरिक बनें और संयम रखें. इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने संभावित बिजली संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को लेटर लिखा.
कोयले का स्टॉक हो रहा खत्म
कोविड (Covid) महामारी से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। नतीजा बिजली की खपत भी बढ़ी। 2019 के मुकाबले पिछले दो महीनों में 17 प्रतिशत बढ़ गई है। पूरी दुनिया में कोयले के दाम बढ़ गए हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक है, और उसका कोयला आयात दो साल के न्यूनतम स्तर पर है। आयात घटने से जो प्लांट इम्पोर्टेड कोयले से चलते थे, वे भी देश में उत्पादित कोयले से चलने लगे हैं। इतनी मात्रा में कोयले का उत्पादन नहीं हो पर रहा जिससे सप्लाई पर दबाव बढ़ गया है।
सीएम केजरीवाल ने की दखल देने की मांग
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेटर लिखकर राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले पावर प्लांट्स को पर्याप्त कोयला और गैस देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया.
शनिवार को ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘देशभर में जितने भी पावर प्लांट हैं, जो कोयले से चलते हैं, वहां पिछले कुछ दिनों से कोयले की बहुत कमी है. दिल्ली को जिन पावर प्लांट से सप्लाई होती है, उन सभी को मिनिमम एक महीने का कोयला स्टॉक रखना होता है, लेकिन अब वो कम होकर 1 दिन का रह गया है. केंद्र सरकार से हमारी अपील है कि रेलवे वैगन का इंतजाम किया जाए और कोयला जल्द से जल्द प्लांट्स तक पहुंचाया जाए. जितने भी प्लांट हैं, वे पहले से ही मात्र 55 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं. 3.4 लाख मेगावाट की जगह आज सिर्फ 1 लाख मेगावाट मांग रह गई है, इसके बावजूद पावर प्लांट सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं.’
साथ ही कहा, हमारे जो हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट हैं, उनकी भी क्षमता 45 हजार मेगावाट से घटकर 30 हजार मेगावाट रह गई है. हम चाहते हैं कि पीक आवर में वहां 45 हजार मेगावाट का उत्पादन हो. यह हाल तब है, जब हमने पावर परचेज एग्रीमेंट किए हुए हैं. एनटीपीसी से ही साढ़े 3-4 हजार मेगावाट का हमारा एग्रीमेंट है. उसके बावजूद हम आज 20 रुपए यूनिट बिजली खरीदने को तैयार हैं. हमने कहा है कि कितनी भी महंगी बिजली मिले खरीद लीजिएगा.
मंत्री ने साथ ही आरोप लगाया है कि मैन मेड क्राइसिस है, ऐसी राजनीति चलती है कि क्राइसिस क्रिएट करो तो लगेगा कुछ बड़ा काम किया है. जैसे ऑक्सीजन का क्राइसिस हुआ था, वो भी मैन मेड ही था, फिर से वैसी ही क्राइसिस नजर आ रही है कि कोयले की सप्लाई बंद कर दो. इस देश में कोयला उत्पादित होता है, देश में पावर प्लांट हैं और जितनी डिमांड है, उससे साढ़े 3 गुना प्रोडक्शन की हमारी क्षमता है, इसलिए लगता है कि यह मैन मेड क्राइसिस है.
साथ ही उन्होंने कहा, बवाना में हमारा 1300 मेगावाट का प्लांट है, जो गैस से चलता है, वहां गैस की सप्लाई कल बंद कर दी गई. केंद्र से हमने सप्लाई की मांग की, जिसके बाद सप्लाई मिल रही है. दिल्ली की तीनों कंपनियां खुद प्रोडक्शन नहीं करती हैं, दिल्ली में कोई भी कोयले का प्लांट नहीं है, तीन छोटे-छोटे प्लांट हैं, जहां गैस से प्रोडक्शन होता है. हम केंद्र के प्लांट पर डिपेंड हैं. अगर सप्लाई नहीं आती है, तो दो दिन बाद पूरी दिल्ली में ब्लैक आउट होगा.