परियों की कहानियां हमने बचपन में बहुत सुनी है दादी नानी से पर आज भी एक ऐसी जगह है जहां परिया आती हैं”और वहां कहा जाता है कि अगर परियों को कोई पसंद आ जाए तो परियां उसको अपने साथ ले जाती हैं तो चलिए हम आपको वहां ले चलते हैं उत्तराखंड के गढ़वाल जिले फेगुलीपट्टी के थात गॉव से 5 km दूरी पर खैटखाल नाम का एक मंदिर है यह पर्वत समुद्र तल से 10000 फीट की ऊंचाई पर है। और आपको चल के जाना पड़ता हैं।
यहां पे वनदेवियों को अंछरी नाम से जाना जाता है माना जाता है कि यह नौ देवियां नो बहने हैं यह आज भी यहां पर अदृश्य रूप से निवास करती हैं। अमेरिका की मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के शोध ने भी पाया है कि यहां पर अजीब सी हलचल और क्रियाएं चलती रहती हैं।
परियों को ना पसंद आने वाली बातें।
परियों को चटकीले रंग वाले कपड़े और तेज संगीत बिल्कुल भी पसंद नहीं है और यहां तेज संगीत की मनाई है और कहते हैं कि यहां एक जीतू नाम का लड़का था। जो बहुत ही अच्छी बांसुरी बजाता था एक दिन वह इस पहाड़ पर अपनी भेड़ -बकरियों को चराते चराते आ गया और वह बांसुरी बजाने लगा तो परियों को उसकी बांसुरी बहुत अच्छी लगी तो परियों ने कहा कि तुम रोज यहां आना और बांसुरी बजाना वह हर रोज आता और बांसुरी बजाता एक दिन वह किसी वजह से वहां नहीं आ पाया तू कुछ ही दिन बाद पता चला कि उस बांसुरी वादक को परियां उठाकर ले गई किसी और लोक ले गई।
यहां पर कहते हैं कि यहां जो भी फल और सब्जियां होती है उसको आप इस क्षेत्र से बाहर नहीं ले जा सकते क्योंकि वह खाने लायक ही नहीं रहती हैं।
यहां पर रहस्यमई गुफाएं भी है जिनका कहा जाता है कि आज तक यहां के अंत का पता नहीं चला है।
खैट पर्वत कैसे जाएं
दिल्ली से खेत पर्वत की दूरी 355 किलोमीटर है दिल्ली से उत्तराखंड रोडवेज की बस से भी जा सकते हैं दिल्ली से ऋषिकेश और ऋषिकेश से नई टिहरी नहीं तेरे से कुछ दूर पैदल चलकर खैट पर्वत आप पहुंच जाएंगे।
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