लॉकडाउन 3.0 के एलान के बाद ही अलग अलग प्रदेशो में फंसे प्रवासी मजदूरों (Migrants) का घर वापस पहुंचना एक बड़ा राजनीतिक मसला बन गया है। कांग्रेस (Congress) समेत कई विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि इस संकट के वक्त में भी केंद्र सरकार (Central Government) मजदूरों से टिकट का पैसा वसूल रही है।
इसी बीच कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमला भी बोला था, जिसके बाद बीजेपी की ओर से संबिता पात्रा ने जवाब देते हुए ये साफ़ किया कि मजदूरों की टिकट का खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठा रही हैं.
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने लिखा, ‘राहुल गांधी जी, मैंने यहां आपके लिए गृह मंत्रालय की गाइडलाइन्स दी हैं, जिसमें साफ लिखा है कि स्टेशन पर कोई टिकट नहीं बिकेगा. रेलवे 85 फीसदी सब्सिडी दे रहा है, राज्य सरकारों को 15 फीसदी सब्सिडी देनी है.’
लेकिन अब एक बार फिर ये मामला तूल पकड़ने लगा है, दरअसल लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिको को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं।
स्पेशल ट्रेन में मजदूरों से टिकट वसूली
ONE India में छपी एक न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, एक ऐसी ही स्पेशल ट्रेन शुक्रवार को गुजरात के अहमदाबाद में फंसे प्रवासी श्रमिको को लेकर उत्तर प्रदेश के मऊ रेलवे जंक्शन पर पहुंची, और गौरतलब है की मऊ पहुंची ट्रेन के यात्रियों ने सरकार द्वारा किराया माफी के दावों को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, मजदूरों ने ये भी आरोप लगाया कि उनसे अहमदाबाद से मऊ की यात्रा के लिए 695 रुपए लिए गए है, जबकि टिकट 630 रुपए का है।
24 घंटे, में एक बार खाना, और 2 बोतल पानी
प्रवासी श्रमिक ने बताया की उनसे साबरमती से मऊ की यात्रा के लिए 695 रुपए लिए गए। 24 घंटे के सफर में उन्हें महज़ एक बार खिचड़ी और दो बोतल पानी ही दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेन का टिकट सिर्फ 630 रुपए का है था, लेकिन यात्रियों से 695 रुपए लिए गए। उन्हें यह बताया गया था कि 18 घंटे तक उन्हें ना तो पानी मिला और ना खाना।
स्वास्थ्य जांच की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद जिला प्रशासन के आला अधिकारी उपस्थित में गुजरात से आने वाले प्रत्येक यात्री को एक गमछा, लंच पैकेट व पानी की एक बोतल दी गई और स्वास्थ्य जांच में खरे उतरने वाले सभी यात्रियों को रोडवेज बसों में बैठाकर उनके जिले के लिए रवाना कर दिया गया।