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नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सज़ा, SC कोर्ट ने सुनाया फैसला

1988 के रोड रेज मामले में पंजाब के कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक साल की सज़ा सुनाई है. बता दें कि इस केस में सिद्धू को पहले हत्या के आरोपों से बरी कर दिया गया था, लेकिन मृतक को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया गया था. पीड़ित के परिवार ने इस केस में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर पुराने आदेश पर दोबारा विचार करने की मांग की थी. उस वक्त सिंद्धू को सिर्फ एक हजार जुर्माना देने के बाद बरी कर दिया गया था.

परिवार ने कहा था कि ये महज मारपीट या धक्‍का-मुक्‍की का मामला नहीं था. बल्कि इसे हत्या जैसे गंभीर अपराध समझा जाना चाहिए. आरोप लगा था कि सिद्धू ने झगड़े के दौरान 65 साल के एक बुजुर्ग को मुक्का मार दिया था. गंभीर चोट के चलते इस व्यक्ति की मौत हो गई थी. शुरुआती दौर में उस वक्त सिद्धू पर हत्या का मुकदमा चलाया गया था.  लेकिन निचली अदालत ने सितंबर 1999 में उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया था.

क्या है पूरा मामला?

ये बाद साल 1988 की है. सिद्धू उन दिनों क्रिकेट के मैदान पर हीरो थे. ये घटना 27 दिसंबर की है. पटियाला (Patiala) में पीड़ित और दो अन्य लोग बैंक से पैसा निकालने जा रहे थे तब सड़क पर जिप्सी देखकर सिद्धू से उसे हटाने को कहा. इसके बाद दोनों में बहस शुरू हो गई. आरोप लगा कि सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए. बाद में पीड़ित की मौत हो गई.

  • 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे. ये जगह उनके घर से 1.5 किलोमीटर दूर है. उस समय सिद्धू एक क्रिकेटर थे. उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था.
  • इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई. बात हाथापाई तक जा पहुंची. सिद्धू ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. उसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.
  • उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. सेशन कोर्ट में केस चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया.
  • साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते.
  • दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया.
  • साल 2006 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई.
  • 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने section 323 के तहत दोषी पाया था. लेकिन गैर इरादतन हत्या (304) के तहत दोषी नहीं पाया था. इसमें सिद्धू को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था.
  • Sep 12, 2018 को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ था
  • March 25, 2022 को रिव्यू पिटिशन पर अपना फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था.

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