आखिरकार 7 साल बाद ही सही लेकिन निर्भया (Nirbhaya) को न्याय मिल ही गया। 20 मार्च, सुबह 5:30 बजे तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में चारों दोषियों को फांसी दे दी गई है।
बता दें की मेडिकल अफसर के चारों दोषियों पवन, अभय, मुकेश और विनय को मृत घोषित कर देने के बाद शव को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था जिसके बाद उनके शव को उनके परिजनों को सौंप दिया गया गया।
जेल प्रशासन के अनुसार निर्भया के चारों दोषियों ने कोई अंतिम इच्छा जाहिर नहीं की थी। तिहाड़ जेल प्रशासन के अनुसार दोषियों की ओर से जेल में कमाए गए पैसे को उनके परिवारवालों को दिया गया। इसके अलावा उनके कपड़े और सभी सामान भी परिवारवालों को दिए गए।
सुबह ही क्यों होती है फांसी?
आमतौर फांसी सुबह सुबह ही दी जाती है। ऐसा इसलिय होता है ताकि जेल की दिनभर की अन्य गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़े। सारी गतिविधियां सुचारू तौर पर काम करती रहें। इतना ही नहीं बल्कि फांसी होने के बाद मेडिकल परीक्षण भी होता है और उसके बाद कई तरह की कागजी कार्यवाहियां भी की जाती है। सभी कार्यवाहिओं के बाद शव को परिजनों को अंतिमसंस्कार के लिए दे दिया जाता है।
फांसी से पहले जल्लाद क्या कहता है?
देश में जब किसी अपराधी को फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में फांसी देने से पहले कुछ कहता है और इसके बाद ही अपराधी को फांसी दी जाती है। आपको बता दे की निर्भया के केस में भी जल्लाद ने फांसी देने के कुछ समय पहले अप्राधिओं के कान में माफ़ी मांगी।
आमतोर पर अगर मरने वाला कैदी हिन्दू रहता है तो जल्लाद उसको “राम राम” बोलता है और वहीँ अगर मरने वाला व्यक्ति मुस्लिम रहता है कि जल्लाद उसको अंतिम “सलाम” बोलता है। साथ ही जल्लाद उनसे कहता है कि “मैं सरकार के हुकुम का गुलाम हूँ इसलिए चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता”।