कोर्ट ने सुनाया आखिरी फैसला, जानिये कि कल होगी या नहीं, निर्भया के दोषियों को फांसी?
Nirbhaya Case: दिल्ली (Delhi) की पटियाल हाउस कोर्ट (Patiala House Court) ने 2012 में दिल्ली हुए निर्भया गैंग रपे (Nirbhaya Gangrape Case) केस में अपना आखिरी फैसला सुना दिया है। आपको बता दे की सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी सभी चार आरोपियों को कल सुबह फांसी के फंदे पे लटका दिया जायगा।
पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है और कल यानि की शुक्रवार को सुबह 5:30, Akshay Thakur, 31, Pawan Gupta, 25, Vinay Sharma, 26, और Mukesh Singh, 32 को फांसी की सज़ा देने के एलान किया है।
Delhi's Patiala House Court dismisses the plea of 2012 Delhi gangrape convicts seeking a stay on execution pic.twitter.com/QwvIFezMuA
— ANI (@ANI) March 19, 2020
आपको बता दें की आरोपी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल कर कहा था कि उसके साथ निष्पक्ष न्याय नहीं हुआ। मुकेश ने कोर्ट के सामने यह बात राखी थी कि वह घटना के वक्त दिल्ली में मौजूद नहीं था बल्कि राजस्थान में था। मुकेश ने अपनी याचिका में डीएनए और आयरन रॉड दोनों ही थ्योरी पर सवाल भी उठाए। इतना ही नहीं, मुकेश ने यह भी कहा कि इस मामले के दस्तावेज़, रिकॉर्ड और रिपोर्ट सीबीआई (CBI) से जांच कराई जाए और कोर्ट उन्हें मंगाये।
सार्वजनिक अभियोजक इरफान अहमद ने अदालत को बताया, “कोई कानूनी उपाय अब तक लंबित नहीं हैं। पवन और अक्षय की दूसरी दया याचिका भी भारत के राष्ट्रपति द्वारा खारिज कर दी गयी है।”
एक साथ होगी 4 दोषियों की फांसी
दिल्ली के तिहाड़ जेल के पुरे इतिहास में यह पहली दफा होगा जब एक ही अपराध के लिए एक ही समय पर चार दोषियों को फांसी दी जाएगी। फांसी देने वाले पवन अपने परिवार में तीसरे पीढ़ी के जल्लाद हैं। आपको बता दे की पवन जल्लाद के दादा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के आरोपी, सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी पर लटकाया था।
तीन बार टल चुके हैं दोषियों के डेथ वारंट
5 मार्च को एक निचली अदालत ने मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी देने के लिए नया डेथ वारंट जारी किया था। चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जाएगी। अदालत ने डेथ वारंट को तीन बार इस आधार पर टाल दिया था कि दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त नहीं हुए हैं और एक या अन्य दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है। यही नहीं दोषियों ने फांसी से बचने के लिए कई रास्ते भी अपनाए थे लेकिन वह सफल नहीं हो सके।