लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जहाँ एक तरफ Akhilesh Yadav और Shivpal Yadav के बीच जमी कड़वाहट की बर्फ पिघलती नज़र आ रही है वहीं दूसरी तरफ समाजवादी कुनबे में सब कुछ बनते बनते बिगड़ता भी जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में वापसी की अटकले तेज़ हो गयी थी। इसके संकेत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी दिए थे। लेकिन अब जब बात आगे बढ़ी तो शिवपाल यादव ने दो ऐसी शर्तें रख दी हैं, जो अखिलेश यादव के सामने मुश्किले खड़ी कर रही हैं।
क्या हैं शर्ते?
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने पहली शर्त यह रखी है कि उनकी पार्टी का विलय नहीं होगा, बल्कि दोनों पार्टियां गठबंधन में रहेंगी। इसके साथ ही शिवपाल ने दूसरी शर्त रखी है कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर धर्मेंद्र यादव को जिम्मेदारी मिले, तभी बात आगे बन पाएगी। आपको बता दें कि धर्मेंद्र यादव इन दिनों शिवपाल यादव और अखिलेश यादव को एक करने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो खुद मुलायम सिंह यादव ने धर्मेंद्र यादव को इसकी जिम्मेदारी सौंप रखी है।
अहम बात यह है कि उत्तर प्रदेश में शुरू से यादव वोटो का मूल आधार मुलायम और शिवपाल ही रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अब यादव वोट सुशासन और राष्ट्रवाद के नाम पर छिटक रहे है। शिवपाल के पार्टी से हटने के बाद और मुलायम की सक्रिय राजनीति में न होने के कारण भी यादव वोट बैंक सत्ता की ओर खिसक रहा है। शिवपाल के सपा के साथ मिलने से सीटे भले न बढ़े लेकिन यादव वोट एक हो जाएगा और पार्टी भी मजबूत हो जाएगी।
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