वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पूर्व BSF जवान Tej Bahadur Yadav का नामांकन रद्द
वाराणसी से PM Modi के खिलाफ चुनाव लड़ रहे BSF से बर्खास्त जवान Tej Bahadur Yadav का नामांकन रद्द हो गया है.चुनाव आयोग ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ रहे तेज बहादुर यादव ने नामांकन को रद्द कर दिया है. नामांकन रद्द होने के बाद तेज बहादुर यादव ने कहा कि नामांकन को गलत तरीके से रद्द कर दिया गया है. उन्होंंने कहा कि मैंने सारे सबूत दिए थे. मगर तानाशाही तरीके से मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया है.
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तेज बहादुर यादव ने कहा कि कल शाम 6.15 बजे चुनाव आयोग ने साक्ष्य देने को कहा था. हमने साक्ष्य तैयार कर लिए फिर भी मेरा नामांकन खारिज कर दिया गया. मैं चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाउंगा.
बता दें कि तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी पेश की थी, उसमें उन्होंने अपने हलफनामे में सेना से बर्खास्तगी की बात कही थी, लेकिन समाजवादी पार्टी की तरफ से जब उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया तो शायद इस तथ्य को छुपा लिया. नामांकन पत्र जांच के दौरान वाराणसी के रिटर्निंग अफसर को जब इस तथ्य की जानकारी मिली तो उन्होंने नोटिस भेजकर उनसे इसका जवाब मांगा है.
क्यों रद्द हुआ नामांकन?
दरअसल, तेज बहादुर की उम्मीदवारी पर तलवार शुरुआत से ही लटकती दिख रही थी. उन्होंने दो हलफनामों में अपनी बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग-अलग जानकारी दी थीं. उन्होंने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 24 अप्रैल को वाराणसी से नामांकन किया था. इसके साथ दिए गए हलफनामे में उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया.
लेकिन बाद में जब समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने पर दोबारा नामांकन (29 अप्रैल) के वक्त तेज बहादुर ने जो हलफनामा दायर किया उसमें इस जानकारी को छुपा लिया गया.
वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर ने इसी तथ्य को आधार बनाते हुए तेज बहादुर यादव से सफाई मांगी थी. सुबह 11 बजे तक अपना जवाब दाखिल करना था. संतुष्टी भरा जवाब ना देने पर उनकी उम्मीदवारी रद्द की गई.
2017 में बीएसएफ जवान के तौर पर तेज बहादुर यादव चर्चा में आए थे. उन्होंने एक वीडियो जारी सेना के जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. सेना की तरफ से अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया था. जिसके बाद से ही वह सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे और अंत में उन्होंने वाराणसी से पीएम के खिलाफ ही चुनाव लड़ने की ठानी.
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