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Haryana : तेज रफ्तार ट्रक ने 3 महिलाओं को कुचला, किसान आंदोलन से लौट रही थीं घर, देखे वीडियो

हरियाणा (Haryana) के बहादुरगढ़ (Bahadurgarh Accident) में गुरुवार सुबह एक बड़ा सड़क हादसा हो गया. एक तेज रफ्तार ट्रक ने महिला किसान प्रदर्शनकारियों को कुचल दिया. हादसे में तीन बुजुर्ग महिलाओं की मौत हो गई और तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है. मौके पर पहुंची पुलिस जांच कर रही है.बताया जा रहा है कि ये तीनों मृतक प्रदर्शनकारी महिलाएं पंजाब के मानसा जिले की थीं और किसान आंदोलन रोटेशन के तहत अब वे घर निकलने वाली थीं.

सूचना पर पहुंची पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह महिला किसान प्रदर्शनकारी बहादुरगढ़ स्‍थित झज्‍जर रोड पर ड‍िवाइडर पर बैठी थीं। जानकारी यह भी मिली है कि आंदोलनकारी महिला किसान घर जाने के लिए ऑटो का इंतजार कर रही थीं. महिलाएं पंजाब के मानसा जिले की रहने वाली थीं. इस तेज रफ्तार ट्रक में डस्ट भरा था. पुलिस ने मृतक महिलाओं के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के शव गृह में रखवा दिया है. वहीं, घायल महिलाओं को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है. पुलिस ने ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. हादसे के बाद ट्रक चालक मौके से फरार हो गया है, जिसकी तलाश जारी है.

मानसा के गांव खीवा दयालुवाला की रहने वाली थीं तीनों

मृतक आंदोलनकारी किसान महिलाओं में छिंदर कौर पत्नी भान सिंह उम्र 60 साल, अमरजीत कौर पत्नी हरजीत सिंह उम्र 58 वर्ष, गुरमेल कौर पत्नी भोला सिंह उम्र करीब 60 वर्ष शामिल हैं। पंजाब के जिला मानसा के गांव खीवा दयालुवाला की निवासी थीं.

हादसे के बाद सियासत शुरू

हादसे के बाद अब इस पर सियासत भी शुरू हो गयी है, कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने दुख जताते हुए एक ट्वीट में लिखा की “भारत माता- देश की अन्नदाता- को कुचला गया है। ये क्रूरता और नफ़रत हमारे देश को खोखला कर रही है। वहीँ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. केजरीवाल ने लिखा कि अगर केंद्र सरकार अपनी जिद छोड़ किसानों की मांगें मान लें तो किसानों को सड़क पर बैठने की जरूरत नहीं पड़ेगी और ऐसे हादसे नहीं होंगे।

बता दें कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल नंबर से ही दिल्ली की सीमाओं से लेकर पंजाब और हरियाणा तक में किसानों का आंदोलन जारी है और ये किसान पिछले एक साल से कृषि कानूनों की वापसी के लिए अलग-अलग जगहों पर डटे हुए हैं।

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