नई दिल्ली: अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को दिल्ली की विशेष अदालत ने टेरर फंडिंग के दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई है. मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. फैसले के दौरान मलिक कोर्ट रूम में मौजूद रहे. यासीन मलिक पर फैसले को देखते हुए कोर्ट में भारी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था. मलिक को दो अपराधों आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए राशि जुटाना) के लिए दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी. यासीन मलिक को कुल 8 मामलों में सजा सुनाई गई है.
-टेरर फंडिंग में दोषी पाए गए यासीन मलिक को अब से कुछ देर में अदालत सजा सुनाएगी.
– पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर फैसले के मद्देनजर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है. यासीन मलिक के आस-पास सुरक्षा का बड़ा घेरा है.
एनआईए ने स्पेशल जज प्रवीण सिंह की अदालत के समक्ष जहां फांसी की सजा की मांग की, वहीं, यासीन मलिक की सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र ने उसे इस मामले में न्यूनतम सजा यानी आजीवन कारावास दिए जाने का अनुरोध किया. इस बीच, यासीन मलिक ने न्यायाधीश से कहा कि वह अपनी सजा का फैसला अदालत पर छोड़ रहा है. अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था. उसने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे.
मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता. इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं.
अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे. लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है.