
रिलीज़ डेट: 1 मई 2025
निर्देशक: राज कुमार गुप्ता
कास्ट: अजय देवगन, रितेश देशमुख, वाणी कपूर, सुप्रिया पाठक, अमित सियाल, सौरभ शुक्ला (स्पेशल अपियरेंस)
अवधि: 2 घंटे 20 मिनट
संगीत: यो यो हनी सिंह, अमित त्रिवेदी, रोचक कोहली, सचेत-परंपरा
कहानी का सार:
रेड 2 की कहानी 1980 के दशक में सेट है, जहाँ Amay Patnaik (Ajay Devgn) का मिशन है—देश के सबसे प्रभावशाली और “बाहरी तौर पर ईमानदार” नेता दादा भाई (Riteish Deshmukh) की संपत्ति और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करना।
दादाभाई समाजसेवी, राजनेता और ‘आदर्श पुत्र’ हैं, लेकिन उनकी असली पहचान एक सफेद कॉलर माफिया की है। अब पटनायक की नजरें उनकी छिपी दौलत पर टिकी हैं। दोनों के बीच शुरू होता है चालबाजियों और दिमागी लड़ाइयों का रोमांचक सिलसिला।
परफॉर्मेंस की बात करें तो:
- अजय देवगन पूरी फिल्म में अपने Singham स्टाइल स्वैग के साथ छाए रहते हैं। स्लोमो एंट्री, डायलॉग डिलीवरी और गहरी आंखों के पीछे की ईमानदारी—उनका हर एक फ्रेम दमदार है।
- रितेश देशमुख बतौर दादाभाई एकदम उलझा हुआ, चतुर और दबा हुआ खलनायक बनते हैं। उनकी अंडरस्टेटेड sinister energy फिल्म को क्लास देती है।
- वाणी कपूर ने Malini Patnaik के किरदार में ग्रेस जोड़ा है, हालांकि स्क्रिप्ट उन्हें सीमित करती है।
- अमित सियाल (लल्लन ‘चरण चुम्बक’) फिल्म में हंसी और अराजकता का सही संतुलन लाते हैं।
- सौरभ शुक्ला की गैरमौजूदगी खलती है, हालांकि उनकी एक झलक काफी असरदार है।
स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन:
राज कुमार गुप्ता इस बार फिल्म को बड़ी स्केल पर लेकर आए हैं—ज्यादा लोकेशन, ज्यादा ताकतवर किरदार और एक पॉलिटिकल अंडरवर्ल्ड की गहराई। फिल्म की शुरुआत धीमी है, लेकिन दूसरे हाफ में यह थ्रिल, ह्यूमर और पंच में भरपूर ऊर्जा पकड़ती है।
फिल्म अपने पहले पार्ट की स्टाइल और टेम्पलेट को श्रद्धांजलि की तरह फॉलो करती है—अम्बैसडर कारों का काफिला, रेड की तैयारियां, साइलेंस में बढ़ती टेंशन… लेकिन यही फॉर्मूला फिल्म को थोड़ी दोहराव की ओर भी ले जाता है।
संगीत और सिनेमैटोग्राफी:
संगीत पक्ष मिक्स है। “नशा” और “Money Money” जैसे गाने ध्यान खींचते हैं लेकिन बीच-बीच में गाने कहानी की गति धीमी करते हैं। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है—80 के दशक का माहौल, बैकड्रॉप और लाइटिंग टोन ऑथेंटिक लगती है।